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मन एक उपकरण
मन एक बहुत ही उत्कृष्ट उपकरण है, बशर्ते कि इसका सही तरीके से इस्तेमाल किया जाय, गलत तरीके से इस्तेमाल करने पर यह बड़ा विनाशकारी बन जाता है,
और स्पष्ट रूप से कहा जाये तो बात केवल इतनी नहीं कि आप मन का गलत इस्तेमाल करते हैं,
वल्कि आमतौर पर आप इसका इस्तेमाल करते ही नहीं वल्कि वह ही आपका इस्तेमाल करता है , यही रोग है
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विचारकर्ता को देखो, और खुद को अपने मन से मुक्त कीजिए
स्वतंत्रता की, आजादी की शुरुआत इसी बोध से होती है कि जो आप पर हावी है वह आप नहीं हैं, आप उससे अलग हैं. यह जानना आपको अपने स्वरूप को देखने की क्षमता देगा.
ज्यों ही आप विचारकर्ता को देखना, अवलोकन करना आरंभ करते हैं त्यों ही चैतन्यता का सर्वोच्च शिखर आपमें सक्रिय हो उठता है. तब आपको यह बोध होना आरंभ हो जाता है कि विचार से परे प्रज्ञा का एक विशाल साम्राज्य है और विचार तो उस प्रज्ञा का एक क्षुद्र व नगण्य पक्ष है.
आपको यह भी बोध हो जाता है कि सचमुच महत्व वाली चीजें जैसे सोंदर्य प्रेम रचनात्मकता भीतरी शांति ये सब मन से परे ही पैदा होते हैं इसके बाद आप चेतन होना आरंभ करते हैं.